NEET UG Re-Exam 2025: लाखों छात्रों के लिए सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि उनके भविष्य का दरवाज़ा थी। लेकिन इस साल की परीक्षा में तकनीकी खामियों और अव्यवस्थाओं ने कई छात्रों के सपनों पर असर डाला। अब, मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसे छात्रों के हित में ऐतिहासिक माना जा रहा है।
परीक्षा के दौरान आई थी भारी परेशानी
NEET UG की परीक्षा 4 मई 2024 को देशभर में आयोजित हुई थी। इंदौर में इसके लिए कुल 49 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। लेकिन परीक्षा के दिन इंदौर में भारी बारिश हुई, जिससे करीब 40 परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल हो गई। नतीजतन, परीक्षा कक्षों में रोशनी की भारी कमी हो गई और छात्रों को अपने प्रश्न पत्र पढ़ने व उत्तर लिखने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
कई छात्रों ने बताया कि खराब रोशनी के कारण वे न सवाल ठीक से पढ़ सके, न जवाब सही से लिख पाए। उनका दावा था कि ये परिस्थितियाँ पूरी तरह से उनके नियंत्रण से बाहर थीं और इसने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
छात्रों ने मांगा न्याय
इन परिस्थितियों से परेशान होकर करीब 75 छात्रों ने 3 जून 2024 से पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनका आग्रह था कि उन्हें दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाए, ताकि वे एक समान और निष्पक्ष माहौल में अपना प्रदर्शन दिखा सकें।
छात्रों की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकीलों ने यह बताया कि बिजली की कटौती और खराब रोशनी ने छात्रों की एकाग्रता को भंग कर दिया, जिससे उनका आत्मविश्वास और प्रदर्शन दोनों प्रभावित हुए।
कोर्ट ने दिया दोबारा परीक्षा का आदेश
23 जून को इस मामले में अंतिम सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने 1 जुलाई को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि जिन छात्रों ने खराब परिस्थितियों में परीक्षा दी, उनके साथ अन्याय हुआ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि परीक्षा के दिन तकनीकी समस्याओं के चलते छात्रों को समान अवसर नहीं मिला।
इसके आधार पर कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को निर्देश दिया कि वो उन 75 छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करे, जिन्होंने निर्धारित समय—3 जून 2024 से पहले—याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट ने खुद किया वास्तविक स्थिति का अनुभव
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कम रोशनी में परीक्षा देने की वास्तविक स्थिति को समझने के लिए एक प्रयोग भी किया। कोर्ट ने कक्ष में लाइट बंद कर खुद देखा कि ऐसी परिस्थितियों में परीक्षा देना कितना मुश्किल होता है। इसके बाद कोर्ट ने माना कि प्रभावित छात्रों को दोबारा मौका मिलना चाहिए, क्योंकि वो अन्य छात्रों की तुलना में स्पष्ट रूप से असमान स्थिति में थे।
पहले लगी थी रोक, फिर हुआ संशोधन
मामले की शुरुआत में कोर्ट ने सभी केंद्रों के परिणामों पर रोक लगा दी थी। लेकिन बाद में संशोधन करते हुए यह रोक सिर्फ इंदौर के 40 केंद्रों पर लागू की गई और बाकी केंद्रों के परिणाम जारी करने की अनुमति दे दी गई।
अब कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि जिन छात्रों के लिए पुनः परीक्षा कराई जाएगी, उनका परिणाम तब तक घोषित नहीं किया जाएगा जब तक वे दोबारा परीक्षा नहीं दे देते।
📌 कोर्ट ने NTA को दिए ये विशेष निर्देश:
- प्रभावित 75 छात्रों के लिए जल्द से जल्द दोबारा परीक्षा कराई जाए।
- यह परीक्षा पूरी तरह निष्पक्ष, पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से आयोजित की जाए।
- परीक्षा के तुरंत बाद इन छात्रों का परिणाम घोषित किया जाए।
❓ क्या यह सभी छात्रों पर लागू होता है?
नहीं। कोर्ट का यह आदेश केवल उन छात्रों पर लागू होगा जिन्होंने 3 जून 2024 से पहले याचिका दाखिल की थी। इसके बाद याचिका दाखिल करने वाले छात्रों को इस फैसले का लाभ नहीं मिलेगा।